पुरातत्व व इतिहास
सीधी मध्यप्रदेश का हिस्सा है, इसकी छवि गौरवशाली इतिहास और कला की है। सीधी, राज्य की उत्तर-पूर्वी सीमा में स्थित है। सीधी को इसके प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक कला के लिए जाना जाता है। सीधी प्राकृतिक संसाधनों से भरा हुआ है, सोन नदीं यहाँ से गुजरती है। संजय राष्ट्रीय उद्याान दुबरी में जो सीधी मुुुख्यालय से 80 कि.मी. की दूरी पर दक्षिणी छोर में स्थ्ति है । राष्ट्रीय अम्यारण्य भी हैै जोेे बगदरा में है। सोन नदी में सोन घडियाल भी है। गोपद बनास तहसील क्षेत्र में घोघरा देवी का मन्दिर हैै जहां प्रतिवर्ष नवरात्रि में मेला लगता है,माना जाता है अकबर के नौ रत्नों में से एक बीरबल का जन्म भी यहीं हुआ था। इस जिले के भवरसेंंन मे वाणभट्ट का जन्म हुआ माना जाता है |
- 1. सिहावल एवं बघोर पुरापाषाण अवशेष क्षेत्र
इस जिले के सिहावल एवं बघोर क्षेत्र में खुदाई से उच्च पुरापाषाण काल (लगभग 40,000 वर्ष प्राचीन) से संबंधित अनेक औजारों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। सोन घाटी का यह क्षेत्र पुरातात्विक शोध के क्षेत्र में अपना अलग महत्त्व रखता है।
- 2. चंद्रेह शैव मंदिर व मठ
जिले के रामपुर नैकिन में चंद्रेह ग्राम में 972 ई. में निर्मित प्राचीन शैव मंदिर एवं मठ स्थित हैं। यह मंदिर चेदि शासकों के गुरु प्रबोध शिव, जो मत्त-मयूर नामक प्रसिद्ध शैव संप्रदाय से संबंधित थे, ने साधना व शैव सिद्धांत के प्रचार हेतु स्थापित किया। मंदिर से जुड़ी हुई संरचना बालुका पत्थर से निर्मित एक मठ है जिसमें इसके निर्माण काल से संबंधित दो प्राचीन संस्कृत शिलालेख लगे हैं। इस संप्रदाय द्वारा अनेक मंदिर स्थापित किये गये जिनमें कदवाहा मंदिर, अशोकनगर व सुरवाया मंदिर, शिवपुरी प्रमुख हैं। चंद्रेह शैव मंदिर सोन एवं बनास नदी के संगम के निकट स्थित है व वर्तमान में भारतीय पुरातात्विक सर्वे द्वारा संधारित है। यह मंदिर पर्सिली रिसॉर्ट से लगभग 60 किमी की दूरी पर है।